भारतवर्ष की भूमि परजब शीत ऋतु लहराती थी,असावधान बैठी देहों पर,क्रूरता बरसाती जाती थी।हंसते-रोते, चलते-सोते रोजमर्रा के जीवन ढोते,लोगों के जीवन मे एक दिन आया ऐसा निराला थालोकतंत्र का गान करके कुछ जनों ने,देश के हृदय पर तेज़ चुभोया एक भाला था।सुबह का अखबार जैसे अपने साथ उल्टी स्वतंत्रता लाया था,लगता था ठंड ने कुछ… Continue reading विपक्ष की बात
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आज़ाद
कहते हैं कि भारतवर्ष में आज़ादी की आजकल नई घटा है छायी,जब अपने ही वीर सपूतों की निंदा करने की कुछ लोगों ने है स्वतंत्रता पायी।अपने ही हाथों जिनसे मातृभूमि का गला घोंटा जाता है,उन लोगों को आजकल देश में आज़ाद कहा जाता है। रहते हैं जो उच्च दबाव में, तूफानों में, वीरानों में, शून्य… Continue reading आज़ाद